राजस्थान के प्रमुख साके


1. रणथंभौर का साका
यह सन् 1301 में अलाउद्दीन खिलजी के ऐतिहासिक आक्रमण के समय हुआ था। इसमें हम्मीर देव चौहान विश्वासघात के परिणामस्वरूप वीरगति को प्राप्त हुआ तथा उसकी पत्नी रंगादेवी ने जौहर किया था। इसे राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का प्रथम साका माना जाता है।

2. चित्तौड़गढ़ के साके
चित्तौड़ में सर्वाधिक तीन साकेहुए हैं।

◆प्रथम साका- यह सन् 1303 में राणा रतन सिंह के शासनकाल में अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण के समय हुआ था। इसमें रानी पद्मनी सहित स्त्रियों ने जौहर किया था।

◆द्वितीय साका- यह 1534 ईस्वी में राणा विक्रमादित्य के शासनकाल में गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह के आक्रमण के समय हुआ था। इसमेंरानी कर्मवती के नेतृत्व में स्त्रियों ने जौहर किया था।

◆तृतीय साका- यह 1567 में राणा उदयसिंह के शासनकाल में अकबर के आक्रमण के समय हुआ था जिसमें जयमल और पत्ता के नेतृत्व में चित्तौड़ की सेना ने मुगल सेना का जमकर मुकाबला किया और स्त्रियों ने जौहर किया था।

3. जालौर का साका
कान्हड़देव के शासनकाल में 1311 – 12 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय हुआ था।

4. गागरोण के किले के साके
◆प्रथम साका- 1423 ईस्वी में अचलदास खींची के शासन काल में माण्डू के सुल्तान होशंगशाह के आक्रमण केसमय हुआ था।

◆द्वितीय साका- यह सन् 1444 में माण्डू के सुल्तान महमूद खिलजी के आक्रमण के समय हुआ था।

5. जैसलमेर के ढाई साके

जैसलमेर में कुल ढाई साके होना माना जाता है। इसके तीसरे साके में वीरों ने केसरिया तो किया था किन्तु जौहर नहीं हुआ इस कारण इसको अर्ध साका कहा जाता है।

◆प्रथम साका- यह अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय हुआ था।

◆द्वितीय साका- यह फिरोजशाह तुगलक के आक्रमण के समय हुआ।

◆तृतीय साका (अर्ध साका)- यह लूणकरण के शासन काल में कंधार के शासक अमीर अली के आक्रमण के समय हुआ था।

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